anuradha-sharma-poems-i am mother hindi

माँ हूँ मैं
मेरे टूटे-फूटे शब्दों में
तेरा तुतलाना
सब को भाता था |
मीठे – मीठे बोलों से
बात अपनी मनवाना
सबको हँसाता था |
तूने बुलंदी को छुआ
मैं गद -गद हो गई |
लगा, मेरी भी तकदीर
रोशनी से तेरी जगी |
सो रही जो आधुनिकता
के गुमनाम लिबास में |
सांसे टूट रही थी
जीने की आस में |
मेरा दुर्भाग्य !
दुत्कार दिया तुमने
आधुनिकता की होड़ में |
बेटा,
एकबात बता |
क्या माँ बेटे में भी
मतलब का नाता है?
बोल और किस बेटे ने
माँ को घर से निकाला?
याद रख |
कमज़ोर होते लम्हों में
मेरा ही हाथ पकड़
खुद को सहलाएगा |
किसी का भी आंचल थाम
बालक मेरा ही कहलाएगा |
सहती हूँ बेरुखी, क्योंकि?
तेरी
माँ हूँ मैं |
माँ हूँ मैं |

डॉ•अनुराधा शर्मा
ज़िला पठानकोट
पंजाब