अभिलाषा के आँचल में
विश्वास के अटूट धागे से |
अनमोल मोतियों सम,
सपनों को पिरोया मैंने |
सहेजा है धरोहर की तरह,
पाना उन्हें निश्चय मेरा |
आशा पर क़ायम अभिलाषा ,
दोनों में है गहरा रिश्ता |
यह रिश्ता दृढ़ विश्वास का,
जीया है जिसे साँसों ने मेरी |
सत्य निहित अमोघ,
अभ्युदय अमिय सम |
जीवन के एक मंज़र पर
पूरी होगी हर ख्वाहिश |
आशाओं के आँचल में
अनमोल मोतियों सम,
सपनों को पिरोया मैंने |
सपनों को पिरोया मैंने |
डॉ.अनुराधा शर्मा
ज़िला पठानकोट
पंजाब