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माँ हूँ मैं (हिंदी)

माँ हूँ मैं मेरे टूटे-फूटे शब्दों में तेरा तुतलाना सब को भाता था | मीठे – मीठे बोलों से बात अपनी मनवाना सबको हँसाता था | तूने बुलंदी को छुआ मैं गद -गद हो गई | लगा, मेरी भी तकदीर रोशनी से तेरी जगी | सो रही जो आधुनिकता के गुमनाम लिबास में | सांसे […]

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किसान

उसे नमन करो, वह किसान है, धरती माँ की जान है | वह किसान है, जो भूखा रह सृष्टि का पेट भरता है | वह किसान है, अन्न का दाता, दाने -दाने के लिए तड़पता है | वह किसान है, जो निरवस्त्र रह औरों के तन को ढकता है | वह किसान है, अपने खून […]

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