anuradha-sharma-poems-Get Up

अतीत की प्राचीर से
सम्मान पाने वाली ।
ममता, दया और शक्ति
रूपों में पूजे जाने वाली |
आज किस बात से डरी हो?

कोमल रंगों से बनी तुम |
बेरंग जान पड़ती हो ||
रौशनी देने वाली तुम |
क्यों अंधेरों में छुपी हो?

निर्माण करने वाली तुम ।
क्यों विध्वंस से थमी हो ?
प्रगति पथ की कड़ी तुम ।
क्यों ठोकरों से झुकी हो ?

इतिहास रचने वाली तुम ।
क्यों आज से हारी हो ?
वीरांगना कहलाने वाली
क्यों पीड़ा से त्रसित हो ?

बंदिशें दी जिस समाज ने।
विक्षिप्त मानसिकता भरी ।
क्यों आज तिल तिल कर ।
उसे जोड़ने में लगी हो ?

अग्नि परीक्षा तब भी दी ,
आज भी हो दे रही |

कौन हैं ?
परीक्षा के नाम पर मुखौटा धारे
तुम्हारा अस्तित्व तार तार करने वाले ?
बड़ी बड़ी बातों से ,
मर्यादा रहित दंभ भरने वाले ?

उठो देखो और जानो
कौन हो तुम ?
नफरतों के दौर में
आशा भरी भोर हो तुम ।
हिम्मत हारते जन की
प्रेरणा हो तुम |
डगमगाते कमज़ोर आगाज़ की
आस्था हो तुम ।
कुंदन सी तुम निकली
चरमराते समाज की आग से |
नफरतों के जाल में जकड़ी
उठो ,अस्तित्व अपना पहचानो |

बढ़ो तुम आगे
मानवता को सराबोर करो |
क्योंकि …
ब्रह्माण्ड में,
करुणा,प्रेम और ममता..
से बने कोमल स्पर्श
केवल तुम से है |
केवल तुम से है ||

डॉ • अनुराधा शर्मा
ज़िला पठानकोट
पंजाब