निशब्द —
शब्दों की भीड़ में,सूखी रेत पर |
उकेरती मैं शब्द, दें आकार भावों को |
निशब्द —
भावों का सागर,खंगालता अंतर्मन द्वन्द
टटोलता सुप्त मौन,आशाओं भरा |
निशब्द —
शब्दों की उलझन,ढूँढती सार्थक मोती |
बने दर्पण धरा का,करें साकार मनसा |
निशब्द —
शब्दों का गुंजन,सीपियों में सोये जीव
की मंद धड़कन सा बहता संगीत |
निशब्द —
बहती धारा की कल-कल |
बाँचती दिशा हरपल,पाने को साहिल |
निशब्द —
है कौन?दे आवाज़,दबी चीख को |
सुलझाये उलझे धागे,मनोनीत सुन्दर |
निशब्द —
केवल शब्द, मानस का आशय हो जाते |
गूँथते भरस्क स्वर,स्वयंमेव निराकुल |
केवल शब्द, केवल शब्द |
डॉ• अनुराधा शर्मा
ज़िला पठानकोट
पंजाब