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कोमल रंगों से बनी तुम |
बेरंग जान पड़ती हो ||
रौशनी देने वाली तुम |
क्यों अंधेरों में दबी हो?
निर्माण करने वाली तुम |
क्यों विध्वंस से थमी हो ?
प्रगति पथ की कड़ी तुम |
क्यों ठोकरों से डरी हो ?
इतिहास रचने वाली तुम |
क्यों आज से हारी हो ?
उठो देखो पहचानो…
चट्टान हो तुम |
भयावह तूफान में ||
नींब हो तुम |
ऊपर उठते मुकाम की ||
प्रेरणा हो तुम |
टूटते निराश समाज की ||
शक्ति हो तुम |
डगमगाते कमज़ोर आगाज़ की ||
आस्था हो तुम |
हर घर और परिवार की ||
मुस्कुराहट हो तुम |
नफरतों के लिबास में ||
पहचानो अस्तित्व अपना |
सृष्टि को सराबोर करो ||
ब्रह्माण्ड में,
शक्ति, प्रेम,दया और ममता..
केवल तुम से है |
केवल तुम से है ||

महिला दिवस की शुभ कामनाएँ

डॉ • अनुराधा शर्मा
ज़िला पठानकोट
पंजाब